मेरी अलमारी देखती होगी
मेरे ठंडे शरीर को
जब में नाराज़ हो कर उसके  दरवाज़े पीट कर 
अपने दिनों  का सामना करता था
हताश हो कर कभी सुकून ढूंढ़ता
उसके  खाली ठंडे खाने में 
वो कुछ सामान की  ठेकेदार नहीं
वो कहानियो की राज़दार है 
मेरी खामोश अलमारी ...

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