Wednesday, August 28, 2019

कारोबार है पुराना,चलता जा रहा है
तेज़ी पे है तरक्की पे भी है
नहीं चाह कोई  उम्मीद भी नहीं

लेकिन दुःख की कोई रसीद नहीं

Wednesday, August 21, 2019

तुमने संमरमर का घर बनाया  मेंरा
फिर भी मैं दरदर भटकता हूँ
रहना चाहता हूँ सिर्फ साफ़ दिलों में
तुम्हारे  एलान मे नहीं अटकता हूँ 
सड़क पे बैठा हूँ ,सिग्नल पे खड़ा रहता हूँ 
कभी ध्यान देना चलते चलते रकते रुकते
शायद दिल में नहीं तो  बहार भी दिखता नहीं
बगल से गुज़र जाते हो, गलती तुम्हारी  नहीं
जिसे जानते नहीं उसे पहचानोगे  कैसे 

Wednesday, August 14, 2019

ख़ा.. मोशी 
से लोग डरते क्यों हैं 
तेज़ रौशनी भी है और साया भी
वो एक औज़ार है 
जो बेवजह है...ना 

उससे खा ..जाती है





Friday, August 9, 2019


Speech, conversations, words are so overrated and passé
Have you ever looked for anyone who takes you towards silences…?

Friday, August 2, 2019

मेरी अलमारी देखती होगी
मेरे ठंडे शरीर को
जब में नाराज़ हो कर उसके  दरवाज़े पीट कर 
अपने दिनों  का सामना करता था
हताश हो कर कभी सुकून ढूंढ़ता
उसके  खाली ठंडे खाने में 
वो कुछ सामान की  ठेकेदार नहीं
वो कहानियो की राज़दार है 
मेरी खामोश अलमारी ...