Wednesday, August 28, 2019
Wednesday, August 21, 2019
तुमने संमरमर का घर बनाया मेंरा
फिर भी मैं दरदर भटकता हूँ
रहना चाहता हूँ सिर्फ साफ़ दिलों में
तुम्हारे एलान मे नहीं अटकता हूँ
सड़क पे बैठा हूँ ,सिग्नल पे खड़ा रहता हूँ
कभी ध्यान देना चलते चलते रकते रुकते
शायद दिल में नहीं तो बहार भी दिखता नहीं
बगल से गुज़र जाते हो, गलती तुम्हारी नहीं
जिसे जानते नहीं उसे पहचानोगे कैसे
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